सियासत नहीं आयेगी
मिलने एल ओ सी से....
उसे फुरसत कहाँ
दरबार की
कलाबाजियों से
खड़े धान ,पीले हाथ
,व्याकुल मन ,खामोश गलियां,
बेबश चेहरे ,पसीने का खून,
सिसकते आँगन,
लथपथ किलकारी,
अधजली अगरबत्तियाँ ,
कुरान के खुले पन्ने,
माँ की लालच में
ठिठके अन्न दाता
धन्य पहरुए,
सांसों को खोजने आए खबरिये
चुकी बेचैन बादलों ने
जानना चाहा था सच
अत:अब सूचना समाप्त हुई
मिलने एल ओ सी से....
उसे फुरसत कहाँ
दरबार की
कलाबाजियों से
खड़े धान ,पीले हाथ
,व्याकुल मन ,खामोश गलियां,
बेबश चेहरे ,पसीने का खून,
सिसकते आँगन,
लथपथ किलकारी,
अधजली अगरबत्तियाँ ,
कुरान के खुले पन्ने,
माँ की लालच में
ठिठके अन्न दाता
धन्य पहरुए,
सांसों को खोजने आए खबरिये
चुकी बेचैन बादलों ने
जानना चाहा था सच
अत:अब सूचना समाप्त हुई
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