गाँव ..गाँव नहीं
अब गोल बन गए है,
ऐसा चढ़ा सत्ता का
जहर कि राजनेति
अब हर चेहरे का
खोल बन गये है ,
मुअनी-जियनी,खेलल-गावल
उठल-बईठल
सबका अब अपना
भूगोल बन गये है .
अब गोल बन गए है,
ऐसा चढ़ा सत्ता का
जहर कि राजनेति
अब हर चेहरे का
खोल बन गये है ,
मुअनी-जियनी,खेलल-गावल
उठल-बईठल
सबका अब अपना
भूगोल बन गये है .
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