कुछ सन्देशे

"http://www.blogvarta.com/update-post.html?id=gujanseva@gmail.com

Wednesday 16 November 2016

टुच्चा कवि

लाचार कवि
सोच रहा
पहले क्या उठाऊं
बन्दुक
कि कलम
कि कुदाल
तभी
सरहद ने कायर
साहित्य ने टुच्चा कवि
अध्यात्म ने
अपात्र गृहस्थ कह दिया
एक बार कलियुग ने
दौड़ाया था
धरती रूपी गाय को
कुछ वैसा ही मंजर है .......

No comments:

Post a Comment