काश !
मोदी, नीतीश
और अखिलेश
साथ-साथ होते
पूर्वांचल के पास
तीन टिकियाँ
का मंगल सूत्र होता
और वे
इस माटी के
हाथ, मुह होते....
फिर न होता कोई दल
न होती कोई लीला
नेता और कवि
तो रिटायर
कभी होते नहीं
यूँ ही ये शेरशाह होते ...
यूपी की सूरत निखर
रही है रोज –रोज
बिहार में नारायणी बहा
रहे है खोज-खोज
तिरंगे वाली पार्टी होती
और मोदी अलम्बरदार होते ......
पूर्वांचल जो फैला है
बिहार तक
यही के भइया
बनते उपहास तक
तो इनके सम्मान में भी
चार चाँद होते...
गाँव खलिहान मील
इन घुनो को भगाएगे
बुद्ध को बउक बनानेवाले
लद जायेगे
कब तक यशोगीत
के लोक गान होते ?
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