एक दिन अचानक
आँख खुली तो पाया
गायब थे
महुआ,जामुन,
गुलर और अमलतास.
गुम होने की सुचना थी
बरगद पर मडराते गिद्धों की,
खरिहान का पुजवट,
बसवारी में का गोहरा
और छानी की ओरीयों की.
यह तो पता था कि
पंचवर्षीय सूखे के भेट
चढ़ गये गढ़ई के मेढक,
पर नहर के कतार पर खड़े
आम के पेड़ ,
सीसम के सूखे पत्ते,
साईबेरियन दिनों के
बास का घुठ्था व
जेठ का इनार
कहाँ गये ?
यकीनन
उनके साथ
ही था जन्म से
पर मै गाँव को और
गाँव को मुझे
पहचानने में
दिक्कत हो रही है.
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